एक समय था जब पुरी दुनिया में लोग डायरिया जेसी गंभीर बीमारी से मर रहे थे , ऐसे समय में भारत ने एक एसा घोल बनाया जिसने दुनिया भर में क्रांति ला दी और लाखो लोगों की जान बचाई .
1971 में भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को आज़ादी दिलाने के लिए पाकिस्तान से युद्ध लड़ा था . लेकिन युद्ध के साथ सबसे बड़ी समस्या बनी पलायन ,लाखो सारणारथी पुर्बी पाकिस्तान छोड़ कर पश्चिम बंगाल के विभिन शिविरों में आ गये . इन शिविरों में गंदे पानी की वजह से डायरिया और हेजा जेसी गंभीर बीमारी फ़ैल गई और कई लोग मारे गये |
इसका इलाज सिर्फ IV सल्यूशन ड्रिप से किया जा सकता था ,लेकिन उसकी सप्लाई और ट्रेंड लोगों की कमी की वजह से ये सभी के लिए उपलब्ध नहीं थी .
ORS का घोल
ऐसे समय में डॉक्टर महाल नोबिस ने एक एसा समाधान निकला जिससे लाखो लोगों की जान बचाई जा सकी ,उन्होंने घरेलु नमक ,ग्लूकोस और बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करके एक एसा घोल बनाया जिसे आज हम ORS के नाम से जानते हैं .तब से लेकर अब तक जब भी उलटी,दस्त या हेज़ा होता है तो सबसे पहले ORS का घोल दिया जाता है
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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ( WHO ) ने भी इसके महत्व को समझा और ग्लोवल लेवल पर इसके इस्तेमाल की इजाजत दे दी | आज ORS का ग्लोवल मार्केट 660 मिलियन डॉलर है,जिसके अगले पांच साल में बढ़ कर 1.2 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है.
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