जब बच्चे को जन्म देने का समय आता है तो हर गर्भवती महिला एक स्वस्थ और मजबूत बच्चे की कामना करती है। इसीलिए गर्भवती महिलाएं अक्सर विभिन्न नई नई चीजों को अपने आहार में शामिल करती हैं। हालांकि, ज्यादातर महिलाएं इस बात से अनजान होती हैं कि गर्भवती होने के बाद क्या और कितना खाना चाहिए। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान खाए जाने वाली चीजो से जुड़ी कई गलतफहमियां और मिथक हैं। इससे गर्भवती महिलाओं में डर पैदा हो जाता है कि क्या खाएं और क्या न खाएं।
तो, आइए जानें कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला अपने आहार में क्या शामिल करना चाहिए:
डेयरी उत्पाद:
बच्चे के विकास के लिए आपको अधिक प्रोटीन और कैल्शियम की आवश्यकता होगी। 19 से 50 वर्ष की गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन लगभग 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। इसलिए दही, छाछ और दूध जैसे डेयरी उत्पादों को शामिल करें, क्योंकि ये गर्भवती महिला और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। कैल्शियम की मात्रा के लिए कम वसा वाले या स्किम्ड दूध और दही को खाएं ।
हरी पत्तेदार सब्जियाँ:
पालक, फूलगोभी और ब्रोकली जैसी हरी पत्तेदार सब्जियाँ अपने आहार में शामिल करें। उदाहरण के लिए, पालक में आयरन होता है जो गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से लड़ने में मदद करता है।
सूखे मेवे:
अपने आहार में सूखे मेवे शामिल करें, क्योंकि ये विटामिन, कैलोरी, फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। अगर आपको एलर्जी नहीं है तो आप काजू, बादाम और अखरोट को अपने आहार में ले सकते हैं।
शकरकंद:
शकरकंद विटामिन ए से भरपूर होता है, जो बच्चे की आँखों की रौशनी और हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक है। इनमें विटामिन सी, फोलेट और फाइबर भी होता है।
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साबुत अनाज:
अपने आहार में साबुत अनाज जैसे जई, क्विनोआ और ब्राउन राईज शामिल करें। वे आपके बच्चे के विकास के लिए आवश्यक जरूरत के मुताबिक कैलोरी और प्रोटीन प्रदान करते हैं।
एवोकाडो:
एवोकाडो ऐसा फल है, जिसे हर गर्भवती महिला को खाने की सलाह दी जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में फोलेट होता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क और उसकी रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके अलावा, एवोकैडो में विटामिन-के, पोटैशियम, कॉपर, मोनोअनसैचुरेटेड फैट व विटामिन-ई आदि भी मौजूद होता है।
कॉड लिवर ऑयल:
इस तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन डी और विटामिन ए होता है। यह आपके बच्चे के मस्तिष्क और आँखों की रौशनी के लिए महत्वपूर्ण है। कॉड लिवर ऑयल का सेवन कम मात्रा में करें।
अंडे:
अंडा पौष्टिक तत्वों का खजाना होता है। रोज अंडा खाने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। अंडा प्रोटीन, कोलीन, बायोटिन, कोलेस्ट्रॉल, विटामिन डी और एंटीऑक्सीडेंट का एक बड़ा स्रोत हैं। वे आपको और आपके बच्चे दोनों को ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता हैं।इसलिए अंडे को अपने आहार में जरुर शामिल करें |
बिना वसा का मांस:
यदि आप मांस खाने वाले हैं, तो अपने आहार में मांस को शामिल करें। मांस में भरपूर मात्रा में लौह तत्व (आयरन), जिंक और विटामिन-बी 12 होता है। अक्सर गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी हो जाती है, तो इसकी वजह से उनके खून में हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने लगता है।
फल और फलों का जूस:
विभिन्न प्रकार के मौसमी फलों और उनके जूस का सेवन करें। गर्भावस्था में महिला को तरह-तरह के मौसमी फल खाने चाहिए। हो सके तो उन्हें संतरा, तरबूज व नाशपाती आदि जैसे फलों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा, इन फलों का रस भी पी सकती हैं। दरअसल, गर्भवती महिला को अलग-अलग चार रंगों के फल खाने की सलाह दी जाती है
जामुन:
स्ट्रॉबेरी, रसभरी और ब्लैकबेरी जैसे जामुन पानी, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन सी से भरपूर होते हैं। ये आपके स्वास्थ्य और आपके बच्चे के विकास के लिए बहुत अच्छे होते हैं।
फलियां:
अपने आहार में मटर, चना और सोयाबीन जैसी फलियां शामिल करें। ये फोलेट, आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम और फाइबर से भरपूर होते हैं।याद रखें, गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार बनाए रखना महत्वपूर्ण है। खाना पकाने के उन तरीकों को चुनें जिनमें कम तेल की आवश्यकता होती है।
“गर्भावस्था के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए
गर्भावस्था एक विशेष समय है, और अपने आहार का ध्यान रखना आपके स्वास्थ्य और बच्चे के विकास दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसी कई चीजें हैं जिनको खाने से गर्भवती महिलाओं को परेशानी हो सकती है,उनके बच्चे को परेशानी हो सकती है । यहां, हम इनमें से प्रत्येक आइटम के बारे में एक-एक करके जानेंगे, जिनसे गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए:
कच्चे अंडे से बचें
गर्भावस्था के दौरान, पूरी तरह से पके अंडे का सेवन करना महत्वपूर्ण है। कच्चे या अधपके अंडे से साल्मोनेला संक्रमण का खतरा हो सकता है। इस संक्रमण के कारण गर्भवती महिलाओं को मतली और दस्त जैसे बीमारी हो सकती हैं
शराब और धूम्रपान से दूर रहें
नशीले पेय पदार्थों का सेवन और धूम्रपान हर किसी के लिए हानिकारक है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए इनसे बचना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान शराब, साथ ही किसी भी प्रकार के नशीले पेय पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। शराब का सेवन गर्भ में पल रहे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
इससे भ्रूण के मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा आ सकती है। इसके अलावा, इससे गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। धूम्रपान से समय से पहले जन्म होने का खतरा और जन्म के समय वजन कम होने का भी खतरा हो सकता है। यह शिशु के लिए विभिन्न गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं पैदा कर सकता है, जिनमें सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) भी शामिल है।
कैफीन का सेवन सीमित करें
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर कैफीन का सेवन कम करने की सलाह देते हैं। कैफीन चाय, कॉफ़ी और चॉकलेट जैसी चीज़ों में पाया जाता है। अत्यधिक कैफीन का सेवन करने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, जियादा कैफीन के खाने के कारण से जन्म के समय वजन कम हो सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन 200 मिलीग्राम तक कैफीन का सेवन सुरक्षित माना जाता है
हाई मर्करी मछली से बचें
मछली गर्भवती महिला के लिए एक लाभकारी आहार है, लेकिन कुछ उच्च पारा वाली मछलियों से बचना महत्वपूर्ण है। स्पैनिश मैकेरल, मार्लिन, शार्क, किंग मैकेरल और टाइलफिश जैसी मछलियों में पारा का स्तर अधिक होता है, जो बच्चे के विकास पर असर डालता है।
कच्चे पपीते को ना कहें
गर्भावस्था के दौरान कच्चे पपीते का सेवन करना असुरक्षित हो सकता है। कच्चे पपीते में एक ऐसा रसायन होता है जो भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए गर्भावस्था में कच्चा पपीता खाने से बचना चाहिए|
कच्चे अंकुरित चीजों से दूर रहें
हालाँकि आमतौर पर अंकुरित अनाज को अच्छा माना जाता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान कच्चे अंकुरित अनाज से बचने की सलाह दी जाती है। दरअसल, कच्ची अंकुरित दालों में साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं,, जिससे फ़ूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। इससे गर्भवती महिला को नुकसान हो सकता है और संभावित रूप से उसके और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है ।
क्रीम आधारित पनीर से बचें
गर्भवती महिलाओं को क्रीम दूध से बने पनीर का सेवन नहीं करना चाहिए। इस प्रकार के पनीर में बिना पाश्चुरीकृत दूध के उपयोग के कारण लिस्टेरिया बैक्टीरिया हो सकता है। लिस्टेरिया बैक्टीरिया के कारण गर्भपात और समय से पहले जन्म का खतरा बढ़ सकता है ।
कच्चे मांस का सेवन न करें
यदि आप गर्भवती हैं तो कच्चा या अधपका मांस खाने से बचें। यदि आप मांस खा रहे हैं, तो ध्यान दें कि वह अच्छी तरह से पका हुआ हो। कच्चा मांस आपको टॉक्सोप्लाज्मोसिस से संक्रमित कर सकता है, जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं
फलों और सब्जियों को खाने से पहले हमेशा धोएं। बिना धुले उत्पाद खाने से आप टॉक्सोप्लाज्मा जैसे बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकते हैं, जो बच्चे के विकास में बाधा बन सकता है ।
घर पर बनी आइसक्रीम छोड़ें
गर्भावस्था के दौरान घर पर बनी आइसक्रीम से भी बचना चाहिए। घर पर बनी आइसक्रीम में अक्सर कच्चे अंडे होते हैं, जिससे साल्मोनेला संक्रमण का खतरा हो सकता है। हम पहले ही बता चुके हैं कि गर्भावस्था के दौरान कच्चे अंडे का सेवन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियो का कारण बन सकता है।
याद रखें, गर्भावस्था के दौरान आपका स्वास्थ्य ,आपके बच्चे की भलाई के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें और खाने संबंधी पूछताछ के लिए अपने health care provider से जानकारी लेना सबसे अच्छा विकल्प है।”
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