आशूरा 10 मुहर्रम दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिन है। इसका अत्यधिक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है और इसे रोज़ा, नमाज़ और नियाज़ के कार्यों में बिताया जाता है। इस लेख में, हम यह बताएँगे की पता लगाएंगे कि आशूरा 10 मुहर्रम कब और किन किन वजह से महत्वपूर्ण है और इस दिन रोज़ा रखने के कई लाभों के बारे में बताएँगे ।
9 और 10 मुहर्रम को रोज़ा
यौम-ए-आशुरा 10 मुहर्रम के दिन रोज़ा रखने का बहुत महत्ब है ,ये नफ्ली रोज़े है अगर रोज़ा रखते है तो जियादा सबाब का काम है , और पैगंबर मुहम्मद (SAW) ने भी इस दिन रोज़ा रखा था। उन्होंने अपने साथियों को 9 और 10 आशूरा का रोज़ा रखने की भी सलाह दी।
9 और 10 मुहर्रम पर इस्लामी कार्यक्रम
आशूरा 2023 या मुहर्रम तिथि का दिन कई प्रमुख इस्लामी घटनाओं के लिए स्वीकार किया जाता है। हालाँकि, यह मुख्य रूप से हज़रत इमाम हुसैन (एएस) और उनके साथियों की शहादत से जुड़ा है। पैगंबर मुहम्मद (SAW) के पोते और परिवार के सदस्यों को सम्मान देने के लिए लोगों द्वारा जुलूस और रैलियां आयोजित की जाती हैं। मस्जिदों और इमामबारगाहों में उलेमा पवित्र इस्लामी दिन के महत्व और अहल-ए-बैत की कुर्बानियों का वर्णन करते हैं।
मुहर्रम का महीना
वर्ष का दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है, रमज़ान के बाद दूसरा, मुहर्रम के महीने में प्रवेश हिजरी कैलेंडर के अनुसार दुनिया भर में मुसलमानों के लिए नए साल की शुरुआत करता है। यह उस दिन को दर्शाता है जब पैगंबर मुहम्मद (SAW) मक्का से मदीना चले गए थे । किसी भी इस्लामी घटना की तरह, हिजरी कैलेंडर की प्रकृति सौर ग्रेगोरियन कैलेंडर के विपरीत चंद्र कैलेंडर होने के कारण हर साल तारीखें अलग-अलग होती हैं। घटना का समय या दिन चंद्रमा के दिखने पर निर्भर करता है। आशूरा का दिन मुहर्रम महीने का 10वां दिन है।
2023 में आशूरा कब है?
आशूरा 29 जुलाई 2023 को पड़ेगा , जो मुहर्रम महीने के चाँद को देखने के बाद तय होता है । यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस्लामी कैलेंडर चाँद के दिखने के आधार पर सटीक तारीख भिन्न हो सकती है। संक्षेप में, “आशूरा” शब्द का अर्थ दसवां है, जो मुहर्रम की 10 तारीख को पड़ने वाले आशूरा के दिन के लिए है।
आशूरा का ऐतिहासिक महत्व
आशूरा मुसलमानों के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह दिन पूरे इतिहास में हुई विभिन्न जंगो/घटनाओं की याद दिलाता है, जिनमें शामिल हैं: आदम के लिए प्रायश्चित का दिन,
इस्लामी परंपरा के अनुसार, आशूरा उस दिन को बताता है जब पहले मानव और पैगंबर आदम ने ईडन गार्डन में अपनी गलती के लिए अल्लाह से माफ़ी मांगी थी। इस दिन आदम के सच्चे पश्चाताप और उसके बाद की क्षमा को याद किया जाता है और जश्न मनाया जाता है।
पैगंबर मूसा का बचाव (PBUH)
ऐसा माना जाता है कि मुहर्रम की 10 तारीख को अल्लाह ने मूसा और उनके उम्मातियो को फिरौन के चंगुल से बचाया, उन्हें जुल्म से निजात दिलाई और उन्हें वादा किए गए देश की ओर ले गए।
इमाम हुसैन की शहादत
आशूरा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन की शहादत है। कर्बला की जंग में जुल्म और अन्याय के खिलाफ इमाम हुसैन का रुख दुनिया भर के मुसलमानों के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। उनका बलिदान बहादुरी, जुल्म और धार्मिकता के खिलाफ विरोध के अहमियत की याद दिलाता है।
आशूरा के रोज़े का महत्व
आशूरा के दिन रोज़ा रखने पर मुसलमानों को बहोत जियादा पुण्य मिलता है ,और इसका पालन करने वालों के लिए बहोत साडी और भी सुभिधाये है।
पैगंबर मुहम्मद (SAW) ने कहा:
“आशुरा का रोज़ा पिछले साल के पापों को मिटा देता है।”
यह भी मुस्तहब (बेहतर) है और पैगंबर (SAW) ने बताया है कि हम आशूरा से एक दिन पहले और/या बाद में रोज़ा रखें :
- मुहर्रम की 9वीं और 10वीं तारीख
- मुहर्रम की 10वीं और 11वीं तारीख
- मुहर्रम की 9वीं, 10वीं और 11वीं तारीख
यह अन्य जमातो से खुद को अलग रखने के लिए है। केवल मुहर्रम की 10वीं तारीख को रोज़ा रखना मकरूह (नापसंद) है, जब तक कि उचित कारण न हो।
आइए हम अपने प्यारे पैगंबर (SAW) की सलाह का पालन करें, और अल्लाह (SWT) हमें अपनी इबादत करने और हमारे गुनाहों को माफ करने में आसानी और हामें नमाज़ी बना दे।
आइए जाने रोज़ा रखने के फायदे:
जैसा कि पहले बताया गया है, आशूरा इस्लामी इतिहास में विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं का प्रतीक है। इस दिन रोज़ा रखने से आशूरा से जुडे पेगाम्बरो द्वारा किए गए बलिदानों को याद करने का मोका होता है। यह हामें यद् दिलाता है के केसे हमारे नबी ,पीर ,वाली अल्लाह की राह में कुर्बान हो हए और इस्लाम को जिन्दा रखा ।
यह माना जाता है कि रोज़ा रखने से शरीर और दिमाग स्वास्थ्य रहता है साथ ही और भी विभिन्न स्वास्थ्य लाभ होते हैं। मुस्लमान इस दिन रोज़ा रख खाना ,पानी परहेज करके, अपने पाचन तंत्र को आराम देते हैं । इसके आलावा , रोज़ा मानसिक स्पष्टता और फोकस में सुधार कर सकता है,
आशूरा के दिन रोज़ रख कर हुसैन (R A) की मोजुदगी का अहसास बढाता है और साथ गहरा संबंध बनता है। रोज़ा अल्लाह पर हमारी निर्भरता और हमें दिए गए आशीर्वाद के लिए हमारी सुकर गुजारी की निरंतर याद दिलाने का काम करता है। यह मुसलमानों को ईमानदारी से प्रार्थना करने, अल्लाह से क्षमा, मार्गदर्शन और आशीर्वाद मांगने के लिए प्रोत्साहित करता है।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम : मिसाइल मैन- डिग्रीयां,पुरुस्कार और कुछ उनके प्रेरणादायक उद्धरण,